Biography of mahaveer Jain in hindi all books summary
महावीर जैन, जिन्हें भगवान महावीर के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली जिले के कुंडलपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था। महावीर का जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था और उनका प्रारंभिक नाम वर्धमान था।
महावीर ने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया और आत्मज्ञान की खोज में निकल पड़े। 12 वर्षों की कठोर तपस्या के बाद, उन्हें कैवल्य (पूर्ण ज्ञान) की प्राप्ति हुई। इसके बाद, उन्होंने 30 वर्षों तक जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया। महावीर ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (संयम) और अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग) के पांच मुख्य सिद्धांतों का प्रचार किया।
महावीर के उपदेशों को उनके शिष्यों ने संकलित किया और ये जैन आगम ग्रंथों के रूप में प्रसिद्ध हैं। जैन धर्म के दो मुख्य संप्रदाय हैं: श्वेतांबर और दिगंबर। दोनों संप्रदाय महावीर को अपना प्रमुख तीर्थंकर मानते हैं, लेकिन उनके ग्रंथों और परंपराओं में कुछ भिन्नताएं हैं।
महावीर के प्रमुख ग्रंथों का संक्षिप्त सारांश इस प्रकार है:
आचारांग सूत्र: यह ग्रंथ महावीर के जीवन और उनके उपदेशों का वर्णन करता है। इसमें जैन साधुओं के आचार-व्यवहार और नियमों का विस्तृत विवरण है।
सूतकृतांग सूत्र: इस ग्रंथ में जैन धर्म के सिद्धांतों और महावीर के उपदेशों का संग्रह है। इसमें अहिंसा, सत्य और अन्य नैतिक सिद्धांतों का वर्णन है।
उत्ताराध्ययन सूत्र: यह ग्रंथ महावीर के अंतिम उपदेशों का संग्रह है। इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महावीर के विचारों का वर्णन है।
दशवैकालिक सूत्र: यह ग्रंथ जैन साधुओं के दैनिक जीवन और उनके आचार-व्यवहार के नियमों का वर्णन करता है।
भगवती सूत्र: यह ग्रंथ महावीर के उपदेशों का विस्तृत संग्रह है। इसमें जैन धर्म के विभिन्न सिद्धांतों और महावीर के जीवन की घटनाओं का वर्णन है।
महावीर का जीवन और उनके उपदेश आज भी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके सिद्धांतों का पालन करने से व्यक्ति आत्मज्ञान की प्राप्ति कर सकता है और मोक्ष (मुक्ति) की ओर अग्रसर हो सकता है।